स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँ चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँउमेश पाण्डे
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क्या आप जानते हैं कि सामान्य रूप से जानी वाली कई जड़ी बूटियों में कैसे-कैसे विशेष गुण छिपे हैं?
दो शब्द
अतिप्राचीनकाल से मनुष्य अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधान रहा है। कालान्तर में स्वास्थ्य के साथ-साथ धन, मान-प्रतिष्ठा तथा जीवन के अन्य आयामों के प्रति भी उसने ध्यान देना प्रारम्भ किया। आज का युग तो मनुष्य के लिये परम असंतुष्टि का युग हो गया है। हर व्यक्ति धन चाहता है, जो धनवान हैं वे और धनवान बनना चाहते हैं. कोई शत्रुओं से परेशान है...किसी को चोरी का भय है तो कोई प्रेम में असफल है...किसी घर में सब कुछ है तो शांति, अमन-चैन नहीं है...पति-पत्नी में दूरी बढ़ रही है...किसी को संतान से तो किसी को संतानों का कष्ट है. तात्पर्य ये कि हर कोई व्यक्ति किसी न किसी कारण से परेशान है.।
ईश्वर कहें या प्रकृति- वह हम पर अत्यन्त कृपालु है...प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है. देने वाले के हाथ बहुत लम्बे भी हैं किन्तु लेने वालों की झोली छोटी है...प्रकृति ने वृक्ष के रूप में साक्षात् देवता हमारे समक्ष, हमारे बीच में भेज दिये हैं. उनसे हमें सदैव प्राप्त ही होता है. हमें उन्हें कुछ देना नहीं पड़ता...और अनेक वस्तुयें तो स्वयं जो पौधों से हमें प्राप्त होती हैं, उन पर प्रकृति ने अपने हस्ताक्षर करके हमें भेजा है...अंतर केवल इतना है कि हम प्रकृति के उन हस्ताक्षरों को पहचान नहीं पा रहे हैं....उन्हें समझ नहीं पा रहे हैं....उपरोक्त सभी समस्याओं का हल प्रकृति के पास है....पुस्तक में उनको समेटने का प्रयास किया गया है....।
इस पुस्तक में मैंने हमारे आसपास के कुछ पौधों को वर्णन के रूप में आपके समक्ष रखा है...ये पौधे साधारण हैं किन्तु इनमें महान दिव्यता छिपी हुई है. इन्हें मैं भी पहले साधारण ही समझता था किन्तु समय के अन्तराल में, अनेक साधू-महात्माओं के सत्संग से अथवा लोक अंचल के बड़े-बुजुर्गों से मुझे इनके सम्बन्ध में बहुत कुछ ज्ञात हुआ। उन्हीं तथ्यों को आपके समक्ष इस पुस्तक के माध्यम से रख रहा हूँ। इस पुस्तक में इन पौधों के औषधीय महत्व को तो लिखा ही गया है किन्तु साथ ही उनके ज्योतिषीय, धार्मिक अथवा विशिष्ट एवं वास्तु सम्मत उपयोगों को भी लिखा है। इनमें से अनेक पौधों के कुछ दिव्य प्रयोग भी हैं जो सहज ही उस पौधे की विलक्षणता को हमारे सामने प्रकट करते हैं। इनमें वर्णित कई प्रयोगों की सत्यता को स्वयं मेरे द्वारा अनेक व्यक्तियों के माध्यम से परखा गया है-ये प्रयोग करने में भी सरल हैं... सभी प्रभावी एवं निरापद हैं... इन्हें श्रद्धापूर्वक एवं विश्वास के साथ सम्पन्न करने वाला अवश्य ही इनसे लाभान्वित होगा। आप सभी पौधों को व्यवस्थित रूप से पहचान सकें, इस हेतु उनके विभिन्न नामों का उलेख किया है ताकि अन्य प्रदेशों के लोग इन पौधों के बारे में जान सकें-समझ सकें। पुस्तक के लेखन में भाषा की सरलता पर भी विशेष ध्यान मैंने दिया है ताकि विषय वस्तुपाठकों को आसानी से समझ में आ सके। मैंने पूरा प्रयल किया है कि पुस्तक की विषय वस्तु त्रुटि रहित हो फिर मानव स्वभाववश यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो विज्ञ पाठकगण उसे क्षमा करेंगे...।
मेरे गुरुजन श्रद्धेय डॉ. वी.बी. दीवान जी, डॉ. सी.एम. सोलंकी एवं डॉ. एस.आर. उपाध्याय एवं डॉ. एम.एल. गंगवाल का भी आभार प्रकट करता हूँ। साथ ही मैं श्री एल.के.एस. चौहान, एम.पी. हाउस, दिल्ली तथा श्री नागेश्वर बाबा का भी आभार व्यक्त करता हूँ। इस पुस्तक में वर्णित जड़ी-बूटियों के सम्बन्ध में मुझे स्व. श्री भालचन्द्र जी उपाध्याय एवं स्व.श्री बसंत कुमार जी जोशी का भी विशिष्ट मार्गदर्शन प्राप्त हुआ - उनका भी आभार.। मैं श्री ललित गोखरू, श्री दीपक मिश्रा, डॉ. ताराचन्द रूपाले, डॉ. प्रफुल्ल दवे, श्री मनोज सुनेरी, श्रीरवि पाटीदार एवं श्री एस.के. जोशी का भी आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक के पूर्ण करने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया।
यह पुस्तक मेरी बेटी कुमारी पायल पाण्डे (बोस्की) को समर्पित है।
आपका
उमेश पाण्डे
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- उपयोगी हैं - वृक्ष एवं पौधे
- जीवनरक्षक जड़ी-बूटियां
- जड़ी-बूटियों से संबंधित आवश्यक जानकारियां
- तुलसी
- गुलाब
- काली मिर्च
- आंवला
- ब्राह्मी
- जामुन
- सूरजमुखी
- अतीस
- अशोक
- क्रौंच
- अपराजिता
- कचनार
- गेंदा
- निर्मली
- गोरख मुण्डी
- कर्ण फूल
- अनार
- अपामार्ग
- गुंजा
- पलास
- निर्गुण्डी
- चमेली
- नींबू
- लाजवंती
- रुद्राक्ष
- कमल
- हरश्रृंगार
- देवदारु
- अरणी
- पायनस
- गोखरू
- नकछिकनी
- श्वेतार्क
- अमलतास
- काला धतूरा
- गूगल (गुग्गलु)
- कदम्ब
- ईश्वरमूल
- कनक चम्पा
- भोजपत्र
- सफेद कटेली
- सेमल
- केतक (केवड़ा)
- गरुड़ वृक्ष
- मदन मस्त
- बिछु्आ
- रसौंत अथवा दारु हल्दी
- जंगली झाऊ